Menu
blogid : 4185 postid : 3

“तेरा साथ चाहिए‍‍-Valentine Contest”

*काव्य-कल्पना*
*काव्य-कल्पना*
  • 24 Posts
  • 32 Comments

दुनिया में सब रँग बेरंग,बस तेरा साथ चाहिए,
थाम लूँ खुद ही अपना दिल मै,बस तेरा हाथ चाहिए।

बना लूँ खुशियों का घर मै,थोड़ी सी खुशियाँ और पास चाहिए,
भूला दूँ हर गम एक पल में,बस दर्दभरी आखिरी रात चाहिए।

चेहरों के मेले में तेरा चेहरा यूँ भा गया,
तुझसे है शायद कई जन्मों का रिश्ता,
ये बात समझ में आ गया।

तेरे मिलते ही जन्नत को भूल गया,
हर अफसाना मेरा दिल्लगी बयाँ कर गया।

रुख की नयी गुलबहार भी तड़प के,
तुझमे सिमट गई,
मेरे प्यार की मँजिल चुपके से,
तुझसे लिपट गई।

दर्दे दिल मेरा दिल में ही दब गया,
नया प्यार और नया यार जो मुझे मिल गया।

आरजू की अँगड़ाईया इठलाती रही,
और मै तेरे नूर में सँवर गया।

महफिल का हर जश्न है वीराना,बस तेरा साथ चाहिए,
दुनिया के भीड़ में भी,मै हूँ अनजाना,
अजनबी तेरा हाथ चाहिए।

हटने वाली है दिन की चमक,सुहाना सा एक रात चाहिए,
तुझसे बात करता रहूँ,और तु सामने हो,
ऐसा खुशियों का बस एक सौगात चाहिए।

अनजान,अजनबी यूँ मिला मुझको,
बिन बताए ही वो मेरी जान बन गया।

कमबख्त इश्क भी क्या चीज है,
मेरे किस्से की अनूठी शान बन गया।

तु रहती है हर सोच में मेरे,
ये तो तुझे अब कहना पड़ा,
भूल गया हूँ खुद को,
जो तु मिली है,
हर दर्द अब हँस के सहना पड़ा।

साथी तेरी हर आहट में मुझे,खुशियों की नई बारात चाहिए,
चेहरे में तेरे खुदा की कोई,थोड़ी सी खुदगर्जी वाली बात चाहिए।

मेरे दिल में रहोगी न,दिल को ऐसा ही कोई,
प्यार भरा साथ चाहिए।

अँतिम साँस तक जो ना मिटे,वैसी ना कभी टुटने वाली गाँठ चाहिए।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh